सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

आखिर सिंगल में कब मिलेगा ग्रैंड स्लेम ?


रविवार दोपहर से ही लिएंडर पेस मीडिया की सुर्खियों में थे। करीब एक घंटे तक ब्रेकिंग न्यूज चलने के बाद..स्पेशल स्टोरी और आधे घंटे तक का स्पेशल प्रोगाम चलाने का जो दौर शुरू हुआ, जो देर रात ही नहीं, सोमवार दोपहर तक जारी रहा। वजह ऑस्ट्रेलियन ओपन में पेस का मिक्सड डबल्स का खिताब जीतना । बेशक लिएंडर पेस ने जो किया वो देश के लिए गौरव की बात है, हम भी उनके कायल हैं और उनके प्रदर्शन का लोहा मानते हैं, उनकी कामयाबी को देख हमारा सीना भी चौड़ा हो जाता है। लेकिन आपको लगता नहीं ....? कि सवा अरब जनसंख्या वाले देश में सिर्फ एक ग्रैंड स्लेम और वो भी सिंगल में नहीं मिक्सड डबल्स में... महज एक सांत्वना सरीखा ही है। देश में ऐसे कहने को तो, कई दमदार युवा खिलाड़ी हैं.. और शानदार अनुभवी खिलाड़ी भी.... तो फिर उन खिलाड़ियों में एक भी सिंगल ग्रैंड स्लेम जीतने का माद्दा क्यों नहीं है ? आखिर ग्रैंड स्लेम के सिंगल मुकाबले में उनका दम क्यों नहीं दिखता....क्यों हमारी कामयाबी सिर्फ डबल्स और मिक्सड डबल्स तक ही सिमटी रह जाती है ? क्यों नहीं हम सिंगल में क्वार्टर फाइनल तक भी पहुंच पाते ? कहते हैं आप आदर्श बनिए! दुनिया आपके पदचिन्हों पर चलने के लिए तैयार है। आज टेनिस की दुनिया में रोजर फेडरर, जस्टिन हेनिन जैसे आदर्श मौजूद हैं, तो फिर हमारे खिलाड़ी, उन आदर्श के पदचिन्हों पर क्यों नहीं चलते ? क्यों नहीं हमारे देश में भी फेडरर .. नाडाल....एंडी मर्रे और डोकोविच जैसे खिलाड़ी पैदा होते हैं ? क्यों सवा अरब लोगों की जनसंख्या वाले देश में अभी तक एक ऐसा सूरमा पैदा नहीं हुआ ... ? जो सीना ठोककर ये कह सके कि मैं जीतूंगा देश के लिए सिंगल में ग्रैंड स्लेम! आखिर कब तक हमारा देश सिर्फ लिएंडर पेस और महेश भूपति की ही कामयाबी पर गर्व करता रहेगा.. क्या हमारी निगाहों को नया लिएंडर पेस...अलग महेश भूपति और दूसरी सानिया मिर्जा के दीदार के लिए अभी और इंतजार करना होगा। 11वां ग्रैंड स्लेम जीतकर महेश भूपति की बराबरी करने वाले लिएंडर पेस ने कहा कि वो फेडरर के नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं..लेकिन मेरा सवाल लिएंडर से ये है कि सिर्फ वो नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं या फिर चलेंगे भी...क्या हम सिर्फ क्रिकेट में ही नंबर वन बनेंगे, क्या हमारे देश का कोई खिलाड़ी कभी दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी नहीं बनेगा। क्या हमारे देश के खेलप्रेमी सिर्फ फेडरर और नाडाल की जीत पर ही ताली बजाते रह जाएंगे....या फिर हम अपने देश के खिलाड़ी पर कभी इतराएंगे ?

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